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मुखड़ि दिखौ प्येजा / प्रीतम अपछ्यांण

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 मुखड़ि दिखौ प्येजा भुकी झप अंग्वाळ मारि जा
मेरा बाटा मा माया की अपणि जिबाळ धारि जा.
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न्यूतदी नजर निराळी ढक उगाड़ चेपु मा
कळछणी डिबळि न लुकौ सैन नया कारि जा.
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माया की तिसाळि सुवा होंठु मा हि मलकणी
तीस छको यूं उंठड़्यों वूं तईं उफारि जा.
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थाथुमि कर गाज हटौ ज्वानि को उमाळ रे
आँच जरा सेळि रख डिबुलि भ्वैं उतारि जा.
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ज्यै बि कर्दि ब्यूंत भगी जनि बि कर्दि तेरा हात
नारा गूरा झिट घड़ि का मन गुस्सा बिसारि जा.
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झम झिंवरी लसपसि छ्वीं आँकि बाँकि साँकि तू
झट झुंट्ये जा लगुलि सी हे हैंसि हिटै द्वारि जा.
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मन उल्यरो तन तिसळो कब तकैं लुकालि हो
माया कि गळज्यूड़ि छुछी कठाकठी सुमारि जा.