भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुझे यात्रा करनी है / हेमन्त शेष

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:00, 29 मई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त शेष |संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष }} मुझे यात...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुझे यात्रा करनी है।

सम्भाल कर जमाना है सारा ज़रूरी सामान।

फिर लेकर टिकट

गाड़ी में बैठना है।

अटैची का ध्यान रखना है मुझे।

उसे चोरों और उठाईगीरों से बचाते हुए

सही स्टेशन पर उतरना है।

रिक्शे वाले को वाजिब पैसे ही देने हैं।

ठीक पते पर पहुँचना है।

ध्यान रखना है पता कौन-सी जेब में है।

यह भी मुझे याद रखना है: याद रखने के लिए

क्या-क्या याद रखना ज़रूरी है।