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"मुझे हर वक़्त आँखों में नमी महसूस होती है / धर्वेन्द्र सिंह बेदार" के अवतरणों में अंतर

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23:36, 19 अप्रैल 2024 के समय का अवतरण

मुझे हर वक़्त आँखों में नमी महसूस होती है
तुम्हारी आज भी मुझको कमी महसूस होती है

मसर्रत रास आती ही नहीं मुझको ज़रा भी अब
न जाने क्यों ख़ुशी में भी ग़मी महसूस होती है

यहाँँ पर कौन किसका साथ देता है मुसीबत में
यहाँँ तो दोस्ती भी मौसमी महसूस होती है

ज़रूरत आइने को साफ़ करने की नहीं तुमको
मुझे तो धूल चेहरे पर जमी महसूस होती है

मुसाफ़िर जानिब-ए-मंज़िल ज़रा कर तेज़ क़दमों को
तेरी रफ़्तार चलने की थमी महसूस होती है

बड़ों से बात करने का सलीक़ा सीख ले 'बेदार'
मुझे तहज़ीब की तुझमें कमी महसूस होती है