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"मुनव्वर जिस्म-ओ-जाँ होने लगे हैं / फ़सीह अकमल" के अवतरणों में अंतर

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मुद्दत से वो ख़ुशबू--हिना ही नहीं आई
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मुनव्वर जिस्म--जाँ होने लगे हैं
शायद तिरे कूचे की हवा ही नहीं आई
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कि हम ख़ुद पर अयाँ होने गले हैं
  
मक़्तल पे अभी तक जो तबाही नहीं आई
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ब-ज़ाहिर तो दिखाई दे रहे हैं
सरकार की जानिब से गवाही नहीं आई
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ब-बातिन हम धुआँ होने लगे हैं
  
दुनिया का हर इक काम सलीक़े से किया है
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जिन्हें तारीख़ भी लिखते डरेगी
हम लोगों को बस याद-ए-ख़ुदा ही नहीं आई
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वो हंगामे यहाँ होने लगे हैं
  
जिस वक़्त कि वो हाथ छुड़ाने पे ब-ज़िद था
+
बहुत से लोग क्यूँ जाने अचानक
उस वक़्त कोई याद दुआ ही नहीं आई
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तबीअत पर गिराँ होने लगे हैं
  
लहजे से न ज़ाहिर हो कि हम उस से ख़फ़ा हैं
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फ़ज़ा में मुर्तइश भी बे-असर भी
जीने की अभी तक ये अदा ही नहीं आई
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हम आवाज़-ए-अज़ाँ होने लगे हैं
  
रूख़्सत उसे बा-दीदा-ए-नम कर तो दिया था
+
सियासी लोग अब चोले बदल कर
फिर इस से बड़ी दिल पे तबाही नहीं आई
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ख़ुदा के तर्जुमाँ होने लगे हैं
  
मिलती तो ज़रा पूछते अहवाल ही उस का
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जो हम को जाँ से बढ़ कर चाहते थे
अफ़्सोस इधर बाद-ए-सबा ही नहीं आई
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नसीब-ए-दुश्मनाँ होने लगे हैं
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वो चिंगारी जो ऐन-ए-मुद्दआ है
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तो हम शोला-ब-जाँ होने लगे हैं
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कभी थे नफ़ा अपना आप हम भी
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मगर अब तो ज़ियाँ होने लगे हैं
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अज़ीयत-कोशियों का फ़ैज़ देखो
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मसाइल दास्ताँ होने लगे हैं
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बयाँ हम को करेगा वो कहाँ से
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कि हम तो ख़ुद बयाँ होने लगे हैं
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ज़रा आपे में रक्खो ख़ुद को ‘अक्मल’
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कि बच्चे अब जवाँ होने लगे हैं
 
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22:32, 5 नवम्बर 2013 के समय का अवतरण

मुनव्वर जिस्म-ओ-जाँ होने लगे हैं
कि हम ख़ुद पर अयाँ होने गले हैं

ब-ज़ाहिर तो दिखाई दे रहे हैं
ब-बातिन हम धुआँ होने लगे हैं

जिन्हें तारीख़ भी लिखते डरेगी
वो हंगामे यहाँ होने लगे हैं

बहुत से लोग क्यूँ जाने अचानक
तबीअत पर गिराँ होने लगे हैं

फ़ज़ा में मुर्तइश भी बे-असर भी
हम आवाज़-ए-अज़ाँ होने लगे हैं

सियासी लोग अब चोले बदल कर
ख़ुदा के तर्जुमाँ होने लगे हैं

जो हम को जाँ से बढ़ कर चाहते थे
नसीब-ए-दुश्मनाँ होने लगे हैं

वो चिंगारी जो ऐन-ए-मुद्दआ है
तो हम शोला-ब-जाँ होने लगे हैं

कभी थे नफ़ा अपना आप हम भी
मगर अब तो ज़ियाँ होने लगे हैं

अज़ीयत-कोशियों का फ़ैज़ देखो
मसाइल दास्ताँ होने लगे हैं

बयाँ हम को करेगा वो कहाँ से
कि हम तो ख़ुद बयाँ होने लगे हैं

ज़रा आपे में रक्खो ख़ुद को ‘अक्मल’
कि बच्चे अब जवाँ होने लगे हैं