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{{KKCatKavita}}
{{KKCatStreeVimarsh}}<poem>‘मुनिया धीरे बोलोउस वृक्ष की पत्तियाँआज उदास हैंइधर-उधर मत मटकोऔर उदास हैचौका-बर्तन जल्दी करोउस पर बैठी वो काली चिड़ियासमेटो सारा घर’
उस वृक्ष की पत्तियांआज उदास हैंऔर उदास हैं उस पर बैठीवह काली चिड़ियाआज मुनिया नहीं आयी खेलनेअब वह बड़ी हो जाएगीगई है नउसका ब्याह होगागुड्डे-गुड्डी खेल खिलौनों की दुनिया छोड़मुनिया हो जायेगी उस वृक्ष की जड़-सी स्तब्धहो जायेगी उसकी जिंदगीजिन्दगी
उस काली चिड़िया-सी
जो फुदकना छोड़
बैठी है उदासउस वृक्ष की टहनी पर।पर!</poem>