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मुसकान / रामनरेश त्रिपाठी

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हे मोहन! सीखा है तुमने किससे यह मुसकान?
फूलों ने क्या दिया तुम्हें यह विश्वविमोहन ज्ञान?
ऊषा ने क्या सिखलाया है यह मंजुल मुसकान?
जिसका अट्टहास दिनकर है उज्ज्वल सत्य समान?