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अधरों पर मुस्कान ले, कहता है नव वर्ष ।
छोड़ उदासी को यहाँ, आ पहुँचा है हर्ष ।।
 
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जितनी खुद से है हमें ,जीवन की हर आस ।
उससे भी ज़्यादा हमें, तुम पर है विश्वास ।
 
जिसके मन में नेह है,सच्ची है हर साँस।
और मीत से प्यार है, वह पहले ही पास ।
 
तुम जैसे होंगे जहाँ ,इस धरती पर लोग ॥
स्वर्ग बनेगे घर -नगर , मिट जाएँगे सोग ॥
 
'''30/5/11'''
 
 
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