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मुहब्बत का ही इक मोहरा मुहरा नहीं था
तेरी शतरंज पे क्या-क्या नहीं था
जहाँ दिल था भले दरिया नहीं था
हमारे ही कदम क़दम छोटे थे वरना
यहाँ परबत कोई ऊँचा नहीं था