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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ }}[[Category: हाइकु]]<poem>1मेघ बरसेधरा -गगन एकप्राण तरसे ।2तुम्हारा आनाआलोक के झरनेसाथ में लाना ।3बसंत आयाधरा का रोम-रोमजैसे मुस्काया ।4बरस बीतेआँसुओं के गागरकभी न रीते ।5मन्द मुस्कानउजालों ने दे दियाजीवन -दान ।6आए जो आपजनम-जनम केमिटे संताप ।7कहीं हो नारीअन्याय के जुए में सदा से हारी8आज का इंसानन पा सका धरतीन आसमान ।9चुप बाँसुरीस्वर संज्ञाहीन -सेगीत आसुरी ।1 0तुम्हारे हाथसौंप दिया हमनेसाँसों का साथ । -0-</poem>