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"मेघ बरसे / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ 
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[[Category: हाइकु]]
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1
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मेघ बरसे
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धरा -गगन एक
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प्राण तरसे ।
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2
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तुम्हारा आना
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आलोक के झरने
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साथ में लाना ।
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3
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बसंत आया
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धरा का रोम-रोम
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जैसे मुस्काया ।
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4
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बरस बीते
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आँसुओं के गागर
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कभी न रीते ।
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5
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मन्द मुस्कान
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उजालों ने दे दिया
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जीवन -दान ।
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6
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आए जो आप
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जनम-जनम के
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मिटे संताप ।
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7
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कहीं हो नारी
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अन्याय के जुए में
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सदा से हारी
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8
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आज का इंसान
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न पा सका धरती
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न आसमान ।
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9
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चुप बाँसुरी
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स्वर संज्ञाहीन -से
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गीत आसुरी ।
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1 0
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तुम्हारे हाथ
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सौंप दिया हमने
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साँसों का साथ ।
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-0-
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18:58, 16 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण