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− | |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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− | |संग्रह=नूपुर बँधे चरण / गुलाब खंडेलवाल
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− | [[category: कविता]]
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− | <poem>
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− | मेरा लक्ष्य खो गया साथी! जैसे तारा भोर का
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− | मेरा मीत नहीं हो पाया,जैसे चाँद चकोर का
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− | मैंने समझा था यह जीवन फूलों की मुस्कान है
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− | मैंने समझा था यह यौवन, कलियों का मधुपान है
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− | सपनों की नगरी में बेसुध बनकर चलना भूल थी
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− | आँख खुली तो कुसुम नहीं वे, कली न वह उद्यान है
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− | लघु तरणी को घेर गरजता सागर चारों और का
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− | वे भी हैं जो लहरों में धंस मोती लाते तीर पर
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− | वे भी हैं जो अमृत चुवाते, हृदय चाँद का चीरकर
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− | मैं भी हूँ जो भावोंसे ही भरता रहा अभाव को
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− | बादल के घोड़े पर चढ़कर उड़ता रहा समीर पर
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− | हरदम कटी पतंग-सदृश था मन जिसका बेडोर का
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− | एक चरण लहरों पर मेरा, एक तटी की रेत पर
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− | मेरी साँसों से उठता है दोनों का समवेत स्वर
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− | पर मैं किसको कहूँ कि मेरा! वह भी मुझसे दूर है
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− | जीवन भर चलता आया हूँ मैं जिसके संकेत पर
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− | रहा उपासक सदा-सदा मैं जिसकी करुणा-कोर का
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− | आओ मिल लूँ बाँह पसारे, अबकी जाना दूर है
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− | घुटती साँस, छूटता साहस, तन-मन थककर चूर है
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− | वही देश अनजाना जिसकी और सभी जन जा रहे
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− | जीवन के सारे कर्मों का अंत एक जो क्रूर है
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− | आनेवाले रहें समझते आशय सुरभ-झकोर का
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− | मेरा लक्ष्य खो गया साथी! जैसे तारा भोर का
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− | मेरा मीत नहीं हो पाया,जैसे चाँद चकोर का
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− | <poem>
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