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मेरा समय / नवनीत पाण्डे

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अगर मैं कहीं हूं
तो होगा ही
मेरा एक समय अपना
जैसा कि होता है सबका अपना समय
कहीं एक मिनट आगे
कहीं एक मिनट पीछे
कहीं सैकेण्ड-दो सैकेण्ड का ही रहता है अंतर
कहीं घण्टों हो जाता है नीचे-ऊपर
हर कलाई पर बंधा है समय
अलग-अलग समय
सबका अपना समय
सच है
किसी का समय
नहीं मिलता किसी के समय से
जैसे कि
मेरा भी समय नहीं मिलता आप से
पर मेरी घड़ी सही नहीं है
सिद्ध नहीं कर सकते आप!