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"मेरी वीणा, तान तुम्हारी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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मधुर स्पर्श से फूट रही हैं ध्वनियाँ प्यारी-प्यारी  
 
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साज भले ही जड़ है सारा  
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तारों पर तो हाथ तुम्हारा
 
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जब भी कभी जोर से मारा
 
जब भी कभी जोर से मारा
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चाहे ठाठ बिखर भी जाये
 
चाहे ठाठ बिखर भी जाये
राग कभी मिटता न मिटाए
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राग कभी मिटता न मिटाये
 
फिर-फिर नव तंत्री ले आये  
 
फिर-फिर नव तंत्री ले आये  
 
हे वादक! बलिहारी  
 
हे वादक! बलिहारी  

03:25, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


मेरी वीणा, तान तुम्हारी
मधुर स्पर्श से फूट रही हैं ध्वनियाँ प्यारी-प्यारी
 
साज़ भले ही जड़ है सारा
तारों पर तो हाथ तुम्हारा
जब भी कभी जोर से मारा
उठी करुण सिसकारी
 
कभी हृदय जब तुमने मींड़ा
लहरा उठी प्रेम की पीड़ा
नित-नित नयी सुरों की क्रीड़ा
नित नव है लयकारी
 
चाहे ठाठ बिखर भी जाये
राग कभी मिटता न मिटाये
फिर-फिर नव तंत्री ले आये
हे वादक! बलिहारी

मेरी वीणा, तान तुम्हारी
मधुर स्पर्श से फूट रही हैं ध्वनियाँ प्यारी-प्यारी