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मेरे पिता की कुर्सी / रुडयार्ड किपलिंग / तरुण त्रिपाठी

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चार सधे पाये हैं मेरे पिता की कुर्सी के―
पुजारी और प्रजा और सामंत और ताज
मैं उन सब पर बराबर चौरस बैठता हूँ
और इसके नहीं टूटने का ये ही है राज़

एक पाये पर नहीं करूँगा भरोसा,
ना दो, ना तीन पर सहने के लिए वजन मेरा
मेरे अधीन चाहिए मुझे वे सभी चार
पुजारी और प्रजा और सामंत और ताज

बैठता हूँ चारो पर, पर साथ नहीं देता किसी का भी
ना पुजारी, ना प्रजा, ना सामंत ना ताज
और कभी डगमगाता नहीं कुर्सी अपनी, मेरे बेटे,
और इसके नहीं टूटने का ये ही है राज़

जब तुम्हारा वक़्त आये मेरी कुर्सी पर बैठने का
याद रखना अपने पिता के नियम और आदत
बैठना सभी चारो पायों पर, बराबर चौरस
और एक पैर के स्टूलों से बहलना मत..