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"मैं अपने हौसले को यकीनन बचाऊँगा / ज्ञान प्रकाश विवेक" के अवतरणों में अंतर

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बाज़ार जा रहा कि उसको भुनाऊँगा
 
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अब सोचता हूँ दावतें दे कर मैँ अब्र को
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अब सोचता हूँ दावतें दे कर मैं अब्र को
 
कागज़ के घर में उसको कहाँ पर बिठाऊँगा.
 
कागज़ के घर में उसको कहाँ पर बिठाऊँगा.
  
 
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19:14, 11 अक्टूबर 2008 का अवतरण


मैं अपने हौसले को यक़ीनन बचाऊँगा
घर से निकल पड़ा हूँ तो फिर दूर जाऊँगा

तूफ़ान आज तुझसे है , मेरा मुकाबला
तू तो बुझाएगा दीये, पर मैं जलाऊँगा

ये चुटकुला उधार लिए जा रहा हूँ मैं
घर में हैं भूखी बेटियाँ उनको हँसाऊँगा

गुल्लक में एक दर्द का सिक्का है दोस्तो,
बाज़ार जा रहा कि उसको भुनाऊँगा

अब सोचता हूँ दावतें दे कर मैं अब्र को
कागज़ के घर में उसको कहाँ पर बिठाऊँगा.