भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं उठा हूँ प्रेम का विस्तार करने के लिए / डी. एम. मिश्र

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:12, 5 अगस्त 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=उजाले का सफर /...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं उठा हूँ प्रेम का विस्तार करने के लिए।
नफ़रतों की दलदलों को पार करने के लिए।

श्वास में जो शक्ति है, जो गंध है, जो तीव्रता,
सृष्टि का श्रृंगार है सत्कार करने के लिए।

रक्त में जो रंग है, जो ताप है, जो ऊर्जा,
भावना का प्राण में संचार पार करने के लिए।

देह में जो रूप है, जो तत्व है, जो साध्यता,
दर्द रूपी जीव का उपकार करने के लिए।

आँख में जो ज्योति है, जो उष्णता, जो आर्द्रता,
आदमी-सा लोक में व्यवहार करने के लिए।

प्रेम में इतना रमो संसार भी छोटा पड़े ,
जिंदगी के अर्थ को साकार करने के लिए।