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मैं गीत लिखुंगा / हरेराम बाजपेयी 'आश'

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रिम झिम बूँदों के स्वर में,
पावस को गाने डीपी,
मैं गीत लिखुंगा।
सरिता को सागर से,
मिलने जाने दो,
मैं गीत लिखूँगा।
आँखों में जैसे काजल,
नभ में श्याम रंग बादल,
उमड़ घुमड़ कर छाने दो,
मैं गीत लिखूँगा।
सुख-दुख की तरह जीवन में,
सूरज की धूप-छाँव को,
आने दो, जाने दो,
मैं गीत लिखूँगा।
जंगल में नाचे मोर युगल,
तालाबों पर मेंढक बारात,
फिर हरी घास के मखमल पर,
झींगुर को गाने दो,
मैं गीत लिखूँगा।
काले जामुन के गालों पर,
पीले आमों की डालों पर,
कुहु-कुहु करती कोयल को,
छिपकर चहकाने दो,
मैं गीत लिखूँगा।
हाथों में स्नेहिल धागे,
मन चंचल नदिया-सा भागे,
झूले में बैठी बहना को,
पुरवैया-सा इतराने दो,
मैं गीत लिखूँगा॥