भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैं समझा नहीं सकता / ओरहान वेली
Kavita Kosh से
Kumar mukul (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:47, 24 जुलाई 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओरहान वेली |अनुवादक=देवेश पथ सारि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अगर रोता हूं मैं
क्या तुम कविता में सुन पाओगे
मेरी आवाज़
क्या तुम अपने हाथ से छुओगे
मेरे आंसू
मैं अनभिज्ञ था गीतों की सुंदरता
और शब्दों की दुर्बलता से
इस मुसीबत के आने से पहले
मैं जानता हूँ कि एक जगह है
जहां कुछ भी कहा जा सकना संभव है
मैं क़रीब बहुत हूँ उस जगह के
बस, मैं समझा नहीं सकता।
मूल तुर्किश से अनुवाद: तलत साइत हलमान
अंग्रेज़ी से अनुवाद: देवेश पथ सारिया