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"म्हनैं ठाह है : तीन / रमेश भोजक ‘समीर’" के अवतरणों में अंतर

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('<poem>म्हनैं ठाह है नाप जोख’र हैसियत मुजब बणाया जावै अ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
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नाप जोख’र
 
नाप जोख’र
 
हैसियत मुजब
 
हैसियत मुजब

05:28, 19 जुलाई 2013 का अवतरण

म्हनैं ठाह है
नाप जोख’र
हैसियत मुजब
बणाया जावै
अजकाळै भायला!
एक-दूजै री कमर में
खाज करणै रै राजीपै सागै
गूंथीजै रिस्ता।
 
इणी’ज खातर तो
आजकाळै टाळ दिया जावै
जरूरत ई कोनी रैयी अबै
बिना नखवाळां री।