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"यक़ीन और बेयक़ीनी के दरम्यान / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर
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00:00, 15 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण
आदी हो चुके हैं ये शब्द
नेताओं की भाषा बोलने के
बदलते रहते हैं इनके अर्थ भी
बदलते युग के साथ
इनकी बदलती भाव भंगिमाओं से
तंग आ चुके हैं शब्दकोश
जो कुछ मैं लिख रहा हूँ आज
न जाने क्या क्या अर्थ निकाले जाएँ
कल इन्ही शब्दों से
तो क्या
मैं भरोसा नहीं कर सकता
अपने शब्दों पर भी।