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यहाँ एक मन छ / ईश्वरवल्लभ

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यहाँ एक मन छ, एक्लो लगन छ
सपथ रातको छ, नआओ यहाँ
जुनेली बेलाको जून उदास छ
सपथ रातको छ, नआओ यहाँ

एक्लै हराऊँ कुनै रातमा म
सुनूँ एक्लै म भाखा नीरवको
एक व्यथा म सयौँ जीन्दगीको
सुनाऊँ कथा म नआओ यहाँ

उठेको सभाझैँ अल्झेको जस्तो
विधवाले आँशु बहाएको जस्तो
अँधेरोअँधेरो कुनै रात जस्तो
यहाँ मेरो घर छ, नआओ यहाँ