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यहाँ रात किसी की रोते कटे या चैन से सोते-सोते कटे / गोपाल सिंह नेपाली

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यहाँ रात किसी की रोते कटे, या चैन से सोते-सोते कटे
तक़दीर में कैसी रात मेरी, न सोते कटे न रोते कटे
यहाँ रात किसी की...

उल्फ़त में मिटना रीत मेरी, पिंजरे में तड़पती प्रीत मेरी
पनघट पे पहुँचकर प्यासा हूँ, क्या हार मेरी, क्या जीत मेरी
तक़दीर में कैसी...

दिल भरा-भरा, प्यासे हैं नयन, है पास मगर मुश्किल है मिलन
पंछी है अकेला सूना है चमन, आँखों में नमीं है दिल में जलन
तक़दीर में कैसी...

(1960-61) फ़िल्म 'जय भवानी'