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"यह दीप अकेला / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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यह दीप अकेला स्नेह भरा 
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है गर्व भरा मदमाता पर 
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यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गायेगा 
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यह दीप अकेला स्नेह भरा 
पनडुब्बा : ये मोती सच्चे फिर कौन कृति लायेगा? <br>
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है गर्व भरा मदमाता पर 
यह समिधा : ऐसी आग हठीला बिरला सुलगायेगा <br>
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इस को भी पंक्ति दे दो 
यह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित : <br><br>
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यह मधु है : स्वयं काल की मौना का युगसंचय 
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यह गोरसः जीवन-कामधेनु का अमृत-पूत पय 
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यह प्रकृत, स्वयम्भू, ब्रह्म, अयुतः 
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यह मधु है : स्वयं काल की मौना का युगसंचय <br>
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यह दीप अकेला स्नेह भरा 
यह गोरसः जीवन-कामधेनु का अमृत-पूत पय <br>
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है गर्व भरा मदमाता पर 
यह अंकुर : फोड़ धरा को रवि को तकता निर्भय <br>
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यह वह विश्वास, नहीं जो अपनी लघुता में भी काँपा, 
है गर्व भरा मदमाता पर <br>
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इस को भी पंक्ति दे दो <br><br>
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यह सदा-द्रवित, चिर-जागरूक, अनुरक्त-नेत्र, 
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उल्लम्ब-बाहु, यह चिर-अखंड अपनापा 
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जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय 
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यह दीप अकेला स्नेह भरा 
वह पीड़ा, जिसकी गहराई को स्वयं उसी ने नापा, <br>
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कुत्सा, अपमान, अवज्ञा के धुँधुआते कड़वे तम में <br>
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यह दीप अकेला स्नेह भरा <br>
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'''नयी दिल्ली ('आल्प्स' कहवाघर में), 18 अक्टूबर, 1953'''
है गर्व भरा मदमाता पर <br>
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इस को भी पंक्ति दे दो <br><br>
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16:48, 6 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता पर
इसको भी पंक्ति को दे दो

यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गायेगा
पनडुब्बा : ये मोती सच्चे फिर कौन कृति लायेगा?
यह समिधा : ऐसी आग हठीला बिरला सुलगायेगा
यह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित :

यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता पर
इस को भी पंक्ति दे दो

यह मधु है : स्वयं काल की मौना का युगसंचय
यह गोरसः जीवन-कामधेनु का अमृत-पूत पय
यह अंकुर : फोड़ धरा को रवि को तकता निर्भय
यह प्रकृत, स्वयम्भू, ब्रह्म, अयुतः
इस को भी शक्ति को दे दो

यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता पर
इस को भी पंक्ति दे दो

यह वह विश्वास, नहीं जो अपनी लघुता में भी काँपा,
वह पीड़ा, जिसकी गहराई को स्वयं उसी ने नापा,
कुत्सा, अपमान, अवज्ञा के धुँधुआते कड़वे तम में
यह सदा-द्रवित, चिर-जागरूक, अनुरक्त-नेत्र,
उल्लम्ब-बाहु, यह चिर-अखंड अपनापा
जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय
इस को भक्ति को दे दो

यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता पर
इस को भी पंक्ति दे दो

नयी दिल्ली ('आल्प्स' कहवाघर में), 18 अक्टूबर, 1953