भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यह स्वतंत्रता दिवस हमारा / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:25, 11 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोजिनी कुलश्रेष्ठ |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यह स्वतंत्रता दिवस हमारा।
कितना पावन कितना प्यारा।
वर्ष बाद जब यह है आता,
मन को खुशियों से भर जाता,
हमें याद आते बलिदानी,
भर आता आँखों में पानी,
अमर शहीदों की कर यादें,
हमको मिलता बहुत सहारा।
यह स्वतंत्रता दिवस हमारा।
इस दिन झंडा फहराते,
तीन रंग सबको अति भाते।
धर्मचक्र चलता ही रहता,
'सत्यमेव जयते' यह कहना,
हम बच्चे सब हँसते गाते,
नाच नाच कर खुशी मनाते,
मिलती हमको खूब मिठाई,
अहा अनोखा पर्व हमारा।
यह स्वतंत्रता दिवस हमारा।