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"याद मरने पे ही किया तुमने / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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मुड़ के देखा न हाशिया तुमने!
 
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21:23, 25 जून 2011 का अवतरण


याद मरने पे ही किया तुमने
हमको ऐसा भुला दिया तुमने!

मुँह पे मलकर अबीर होली में
हाथ हरदम को धो लिया तुमने

यह न सोचा, किसी पे क्या गुज़री
दिल लगाया शौकिया तुमने

दो घड़ी और भी ठहर न सके
जानेवाले! ये क्या किया तुमने

ज़िन्दगी की क़िताब ख़त्म हुई
मुड़ के देखा न हाशिया तुमने!

हमने माना कि मिल न पाये गुलाब
दिल तो ख़ुशबू से भर दिया तुमने