भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

याद / दिनेश कुमार शुक्ल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:53, 10 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल |संग्रह=ललमुनिया की दुनिया / द…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जगी तुम्हारी याद
रात को चीर-चीर कर
क्षत-विक्षत थे स्वप्न
उड़ रहे फटे पत्र से

फटता था आकाश
हृदय-सा

साँय-साँय चलता था पंखा
कमरा बन्द-उड़ रहा था
पंखे से बचता टकराता
कपोत बनकर मन