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"यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया / ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश'" के अवतरणों में अंतर

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मुझ को इस इश्क़ के बीमार ने सोने न दिया<br>
 
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11:49, 3 मई 2009 का अवतरण

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया
रात भर तालि'-ए-बेदार ने सोने न दिया

एक शब बुलबुल-ए-बेताब के जागे न नसीब
पहलू-ए-गुल में कभी ख़ार ने सोने न दिया

रात भर की दिल-ए-बेताब ने बातें मुझ से
मुझ को इस इश्क़ के बीमार ने सोने न दिया