भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया / ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश' }} Category:ग़ज़ल यार को मैं न...)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
 
पहलू-ए-गुल में कभी ख़ार ने सोने न दिया<br>
 
पहलू-ए-गुल में कभी ख़ार ने सोने न दिया<br>
  
रात भर की दिल-ए-बेताब ने बातें मुझ से<br>
+
रात भर कीं दिल-ए-बेताब ने बातें मुझ से<br>
 
मुझ को इस इश्क़ के बीमार ने सोने न दिया<br>
 
मुझ को इस इश्क़ के बीमार ने सोने न दिया<br>
 
[http://jagjitsingh-sankalp.blogspot.com/[Bazm-E-Jagjit]]
 

01:31, 24 जून 2009 के समय का अवतरण

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया
रात भर तालि'-ए-बेदार ने सोने न दिया

एक शब बुलबुल-ए-बेताब के जागे न नसीब
पहलू-ए-गुल में कभी ख़ार ने सोने न दिया

रात भर कीं दिल-ए-बेताब ने बातें मुझ से
मुझ को इस इश्क़ के बीमार ने सोने न दिया