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"युद्धभूमि का सिपाही / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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पूरा देश नाज़ करता है
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तंगहाल मेरी बीवी
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एक पीतल का मेडल ले लेती है
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और मेरा छोटू
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शहीद का बेटा
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पेन्शन का हक़दार होकर
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पढ़ने लगता है
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शौर्य और बलिदान
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का अगला पाठ
 
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15:58, 1 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

मैं युद्धभूमि का
सिपाही हॅू
जो नहीं जानता
युद्ध कब तक चलेगा
कब थमेगा
और युद्ध से किसे
क्या मिलेगा

मेरी बन्दूक के पीछे
किसी और की
मंशा गड़गड़ाती है
किसी और का हुक्म
धांय-धांय बोलता है
पूरा देश नाज़ करता है
मेरी शहादत पर

और बदले में
तंगहाल मेरी बीवी
काँपते हाथों से
एक पीतल का मेडल ले लेती है
सरकारी पुरस्कार
और मेरा छोटू
शहीद का बेटा
पेन्शन का हक़दार होकर
पढ़ने लगता है
शौर्य और बलिदान
का अगला पाठ