भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

युद्ध / प्रियदर्शन

3 bytes removed, 07:29, 2 सितम्बर 2014
कि उसकी अंतरात्मा जागे
अगर न जागे
तो भी बनी रहे उसकी दया़दया
हम हैं कायर ये मानने में
काहे का शर्म कैसी हया
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits