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ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं | ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं | ||
− | तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई हैं? | + | तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई<ref>पागल</ref> हैं? |
हैं लाखों रोग ज़माने में, क्यों इश्क़ है रुसवा बेचारा | हैं लाखों रोग ज़माने में, क्यों इश्क़ है रुसवा बेचारा | ||
− | हैं और भी वजहें वहशत की, इन्सान को रखतीं दुखियारा | + | हैं और भी वजहें वहशत<ref> घबराहट</ref> की, इन्सान को रखतीं दुखियारा |
− | हाँ बेकल बेकल | + | हाँ बेकल-बेकल रहता है, हो प्रीत में जिसने दिल हारा |
− | पर शाम से लेके | + | पर शाम से लेके सुबह तलक, यूँ कौन फिरे है आवारा |
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं | ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं | ||
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई हैं? | तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई हैं? | ||
गर इश्क़ किया है तब क्या है, क्यूँ शाद नहीं आबाद नहीं | गर इश्क़ किया है तब क्या है, क्यूँ शाद नहीं आबाद नहीं | ||
− | जो जान लिये बिन टल ना सके, ये ऐसी भी उफ़ताद नहीं | + | जो जान लिये बिन टल ना सके, ये ऐसी भी उफ़ताद<ref>अचानक आई हुई कोई विपत्ति</ref> नहीं |
ये बात तो तुम भी मानोगे, वो क़ैस नहीं फ़रहाद नहीं | ये बात तो तुम भी मानोगे, वो क़ैस नहीं फ़रहाद नहीं | ||
क्या हिज्र का दारू मुश्किल है, क्या वस्ल के नुस्ख़े याद नहीं | क्या हिज्र का दारू मुश्किल है, क्या वस्ल के नुस्ख़े याद नहीं | ||
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तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई हैं | तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई हैं | ||
− | जो हमसे कहो हम करते हैं, क्या | + | जो हमसे कहो हम करते हैं, क्या इंशा को समझाना है |
− | उस लड़की से भी कह लेंगे, गो अब कुछ और | + | उस लड़की से भी कह लेंगे, गो अब कुछ और ज़माना है |
− | या छोड़ें या तकमील करें, ये इश्क़ है या अफ़साना है | + | या छोड़ें या तकमील<ref> अंजाम तक पहुँचायें</ref> करें, ये इश्क़ है या अफ़साना है |
ये कैसा गोरख धंधा है, ये कैसा ताना बाना है | ये कैसा गोरख धंधा है, ये कैसा ताना बाना है | ||
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं | ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं | ||
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई हैं | तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई हैं | ||
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10:20, 14 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई<ref>पागल</ref> हैं?
हैं लाखों रोग ज़माने में, क्यों इश्क़ है रुसवा बेचारा
हैं और भी वजहें वहशत<ref> घबराहट</ref> की, इन्सान को रखतीं दुखियारा
हाँ बेकल-बेकल रहता है, हो प्रीत में जिसने दिल हारा
पर शाम से लेके सुबह तलक, यूँ कौन फिरे है आवारा
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई हैं?
गर इश्क़ किया है तब क्या है, क्यूँ शाद नहीं आबाद नहीं
जो जान लिये बिन टल ना सके, ये ऐसी भी उफ़ताद<ref>अचानक आई हुई कोई विपत्ति</ref> नहीं
ये बात तो तुम भी मानोगे, वो क़ैस नहीं फ़रहाद नहीं
क्या हिज्र का दारू मुश्किल है, क्या वस्ल के नुस्ख़े याद नहीं
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई हैं
जो हमसे कहो हम करते हैं, क्या इंशा को समझाना है
उस लड़की से भी कह लेंगे, गो अब कुछ और ज़माना है
या छोड़ें या तकमील<ref> अंजाम तक पहुँचायें</ref> करें, ये इश्क़ है या अफ़साना है
ये कैसा गोरख धंधा है, ये कैसा ताना बाना है
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई हैं