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ये वो नही था / तुषार धवल

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बीता वक़्त
बारिशों में घुल गया
ये वो बारिश नहीं थी
जिसे हम जानते हैं.


नीम के फूल झर गए
वीत रागी
वासंती हवाएँ लौट गईं
गुफ़ाओं को
पुल देखता रहा
कतार में
जल रही थीं चिताएँ
मैं खामोश

ये वो भाषा नहीं थी
जिसे हम जानते हैं.

धुंधली सलीबों पर
सब टंगे
हैं
सब मसीहा
अनुत्तरित प्रश्न मृत्यु के
अब और

ये वो भाषा नहीं थी
जिसे हम जानते हैं।