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ये सबाहत की जौ महवकां-महचकां / फ़िराक़ गोरखपुरी

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ये सबाहत<ref>गोरी रंगत</ref> की ज़ौ<ref>चमक</ref> महचकाँ<ref>चन्द्रमा का प्रकाश बिखेरने वाला</ref> - महचकाँ
ये पसीने की रौ कहकशाँ<ref>आकाश गंगा</ref> - कहकशाँ।

इश्क़ था एक दिन दास्ताँ-दास्ताँ
आज क्यों है वही बेज़बाँ-बज़बाँ।

दिल को पाया नहीं मंज़िलों-मंज़िलों
हम पुकार आये हैं कारवाँ-कारवाँ।

इश्क़ भी शादमाँ-शादमाँ इन दिनों
हुस्न भी इन दिनों मेहरबाँ-मेह्‌रबाँ।

है तेरा हुस्ने-दिलकश, सरापा सवाल
है तेरी हर अदा, चीस्ताँ-चीस्ताँ।

दम-बदम शबनमो-शोला की ये लवें
सर से पा तक बदन गुलसिताँ-गुलसिताँ।

बैठना नाज़ से अंजुमन-अंजुमन
देखना नाज़ से, दास्ताँ - दास्ताँ।

महकी-महकी फ़जाँ खु़शबू-ए-ज़ुल्फ़ से
पँखड़ी होंट की, गुलफ़शाँ-गुलफ़शाँ।

जिसके साये में इक ज़िन्दगी कट गयी
उम्रे - ज़ुल्फ़े - रसा जाविदाँ-जाविदाँ।

ले उड़ी है मुझे बू - ए - ज़ुल्फ़े सियह
ये खिली चाँदनी बोसताँ - बोसताँ।

आज संगम सरासर जु - ए इश्क़ है
एक दरिया - ए - ग़म बेकराँ - बेकराँ।

जिस तरफ़ जाइये मतला-ए-नूर-नूर
जिस तरफ़ जाइये महवशाँ-महवशाँ।
 
बू ज़मी से मुझे आ रही है तेरी
तुझको क्यों ढूँढिये आसमाँ-आसमाँ।

सच बता मुझको, क्या यूँ ही कट जायेगी
ज़िन्दगी इश्क़ की रायगाँ-रायगाँ।

रूप की चाँदनी सोज़े-दिल<ref>दिल का दुख</ref> सोज़े-दिल
मौज़े-गंगो-जमन साज़े-जाँ<ref>जीवन राग</ref> साज़े-जाँ।

शब्दार्थ
<references/>