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"ये सानेहा तो किसी दिन गुजरने वाला था / राहत इन्दौरी" के अवतरणों में अंतर

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तेरे सलूक तेरी आगही की उम्र दराज़
 
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बुलंदियों का नशा टूट कर बिखरने लगा
 
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मेरा जहाज़ ज़मीन पर उतरने वाला था
 
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मेरे चिराग मेरी शब मेरी मुंडेरें हैं
 
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मैं कब शरीर हवाओं से डरने वाला था
 
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11:08, 16 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

ये सानेहा तो किसी दिन गुज़रने वाला था
मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था

तेरे सलूक तेरी आगही की उम्र दराज़
मेरे अज़ीज़ मेरा ज़ख़्म भरने वाला था

बुलंदियों का नशा टूट कर बिखरने लगा
मेरा जहाज़ ज़मीन पर उतरने वाला था

मेरा नसीब मेरे हाथ काट गए वर्ना
मैं तेरी माँग में सिंदूर भरने वाला था

मेरे चिराग मेरी शब मेरी मुंडेरें हैं
मैं कब शरीर हवाओं से डरने वाला था