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"ये हसीं बेकली क्यों सीने में भर गयी है! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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− | |संग्रह=पँखुरियाँ गुलाब की / गुलाब खंडेलवाल
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− | [[category: ग़ज़ल]]
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− | <poem>
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− | ये हसीन बेकली क्यों सीने में भर गयी है!
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− | मेरे दिल के पास आकर वो नज़र ठहर गयी है!
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− | मेरे प्यार की वज़ह से ये हुई है रंगसाजी
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− | मेरी हर नज़र से तेरी रंगत निखर गयी है
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− | वे लटें थीं रात किसकी मेरे बाजुओं पे बिखरीं
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− | मेरे हर ख़याल में एक ख़ुशबू-सी भर गयी है
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− | मुझे हँस के अब बिदा दो, मेरी ज़िन्दगी का ग़म क्या!
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− | ये समझ लो आज दुलहन साजन के घर गयी है
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− | नहीं अब, गुलाब! तुझमें पहले-सी शोख़ियाँ हों
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− | तेरी तड़पनों से कुछ तो दुनिया सँवर गयी है
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03:37, 4 जुलाई 2011 के समय का अवतरण