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"ये हसीन बेकली क्यों सीने में भर गयी है! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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मेरे हर ख़याल में एक ख़ुशबू-सी भर गयी है
 
मेरे हर ख़याल में एक ख़ुशबू-सी भर गयी है
  
मुझे हँस के अब विदा दो, मेरी ज़िन्दगी का ग़म क्या!
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मुझे हँसके अब विदा दो, मेरी ज़िन्दगी का ग़म क्या!
 
ये समझ लो आज दुलहन साजन के घर गयी है
 
ये समझ लो आज दुलहन साजन के घर गयी है
  

01:24, 8 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


ये हसीन बेकली क्यों सीने में भर गयी है!
मेरे दिल के पास आकर वो नज़र ठहर गयी है!

मेरे प्यार की वज़ह से ये हुई है रंगसाज़ी
मेरी हर नज़र से तेरी रंगत निखर गयी है

वे लटें थीं रात किसकी मेरे बाज़ुओं पे बिखरीं
मेरे हर ख़याल में एक ख़ुशबू-सी भर गयी है

मुझे हँसके अब विदा दो, मेरी ज़िन्दगी का ग़म क्या!
ये समझ लो आज दुलहन साजन के घर गयी है

नहीं अब, गुलाब! तुझमें पहले-सी शोख़ियाँ हों
तेरी तड़पनों से कुछ तो दुनिया सँवर गयी है