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"यों उड़ा है नशा जवानी का / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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ख़ून से अपने लिख गए हैं जवाब
 
ख़ून से अपने लिख गए हैं जवाब
हम उन आँखों की बेज़बानी का
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हम उन आँखों की बेज़ुबानी का
  
 
रात आया था लटें खोले कोई  
 
रात आया था लटें खोले कोई  

01:43, 10 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


यों उड़ा है नशा जवानी का
जैसे बालू पे हर्फ़ पानी का

ख़ून से अपने लिख गए हैं जवाब
हम उन आँखों की बेज़ुबानी का

रात आया था लटें खोले कोई
फूल महका था रातरानी का

कही ऐसा न हो, मिलें जब आप
कहनेवाला हो चुप कहानी का!

रंग देखें गुलाब के भी आज
जिनको दावा है बाग़वानी का