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"यों तो बदली हुई राहों की भी मजबूरी थी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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क्या न इन शोख़ गुनाहों की भी मजबूरी थी?
 
क्या न इन शोख़ गुनाहों की भी मजबूरी थी?
  
यों तो इस बाग़ में हँसने केलिए आये गुलाब
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यों तो इस बाग़ में हँसने के लिए आये गुलाब
 
दिल से उठती हुई आहों की भी मजबूरी थी
 
दिल से उठती हुई आहों की भी मजबूरी थी
 
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01:13, 9 जुलाई 2011 का अवतरण


यों तो बदली हुई राहों की भी मजबूरी थी
कुछ मगर फूल सी बाँहों की भी मजबूरी थी

कुछ तो मजबूर किया उनकी अदाओं ने हमें
और कुछ अपनी निगाहों की भी मजबूरी थी

यों तो दीवाना बताते हैं हमें लोग, मगर
कुछ तेरे प्यार की राहों की भी मजबूरी थी

प्यार की दी है सज़ा हमको मगर यह तो बता,
क्या न इन शोख़ गुनाहों की भी मजबूरी थी?

यों तो इस बाग़ में हँसने के लिए आये गुलाब
दिल से उठती हुई आहों की भी मजबूरी थी