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"यों तो हमसे न कोई बात छिपायी जाती / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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पर नज़र उनकी नज़र से न मिलायी जाती
 
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उड़के खुशबू तेरे बालों की तो आयी हर वक़्त  
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लाख हमसे तेरी सूरत थी छिपायी जाती
 
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सैंकडों प्यार की दुनिया तबाह करके ही  
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एक इंसान की तक़दीर बनायी जाती
 
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खून जब अपने कलेजे का बहाते हैं गुलाब
 
खून जब अपने कलेजे का बहाते हैं गुलाब
पंखडी तब तेरे चरणों पे चढाई जाती
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पंखड़ी तब तेरे चरणों पे चढाई जाती
 
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21:54, 2 जुलाई 2011 का अवतरण


यों तो हमसे न कोई बात छिपायी जाती
पर नज़र उनकी नज़र से न मिलायी जाती

उड़के ख़ुशबू तेरे बालों की तो आयी हर वक़्त
लाख हमसे तेरी सूरत थी छिपायी जाती

सैकड़ों प्यार की दुनिया तबाह करके ही
एक इंसान की तक़दीर बनायी जाती

तुझसे मिलकर तो बढ़ी है ये जलन, तू ही बता
और किस तरह लगी दिल की बुझाई जाती!

खून जब अपने कलेजे का बहाते हैं गुलाब
पंखड़ी तब तेरे चरणों पे चढाई जाती