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"यों तो हमेशा मिलते रहे हम, दोनों तरफ़ थी एक-सी उलझन / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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यों तो हमेशा मिलते रहे हम, दोनों तरफ़ थी एक-सी उलझन
 
यों तो हमेशा मिलते रहे हम, दोनों तरफ़ थी एक-सी उलझन
उसने न रुख से परदा हटाया, हमने न छोडा हाथ से दामन  
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उसने न रुख़ से परदा हटाया, हमने न छोडा हाथ से दामन  
  
कोई तो और आईने में था, साथ रहा हरदम जो हमारे  
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कोई तो और भी आईने में था, साथ रहा हरदम जो हमारे  
जब भी उठायी आँख तो देखी हमने उसी की प्यार की चितवन
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जब भी उठायी आँख तो देखी हमने उसीकी प्यार की चितवन
  
 
उम्र की राह जो तै कर आये, आओ उसीसे लौट चलें अब
 
उम्र की राह जो तै कर आये, आओ उसीसे लौट चलें अब
 
देखो, यहीं तुम हमको मिले थे, यह है जवानी, यह है लड़कपन  
 
देखो, यहीं तुम हमको मिले थे, यह है जवानी, यह है लड़कपन  
  
ताब थी क्या लहरों को डूबा दें, नाव को डर तूफ़ान का कब था!
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ताब थी क्या लहरों की डुबा दें, नाव को डर तूफ़ान का कब था!
 
जिनके लिए हम मौत से जूझे, खुद वे किनारे ही हुए दुश्मन  
 
जिनके लिए हम मौत से जूझे, खुद वे किनारे ही हुए दुश्मन  
  
 
रूप की हर चितवन में बसे हम, प्यार की हर धड़कन है हमारी  
 
रूप की हर चितवन में बसे हम, प्यार की हर धड़कन है हमारी  
किसको गुलाब का रंग न भाया, किसमें नहीं काँटों की है कसकन
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किसको गुलाब का रंग न भाया, किसमें नहीं काँटों की है कसकन!
 
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02:06, 1 जुलाई 2011 का अवतरण


यों तो हमेशा मिलते रहे हम, दोनों तरफ़ थी एक-सी उलझन
उसने न रुख़ से परदा हटाया, हमने न छोडा हाथ से दामन

कोई तो और भी आईने में था, साथ रहा हरदम जो हमारे
जब भी उठायी आँख तो देखी हमने उसीकी प्यार की चितवन

उम्र की राह जो तै कर आये, आओ उसीसे लौट चलें अब
देखो, यहीं तुम हमको मिले थे, यह है जवानी, यह है लड़कपन

ताब थी क्या लहरों की डुबा दें, नाव को डर तूफ़ान का कब था!
जिनके लिए हम मौत से जूझे, खुद वे किनारे ही हुए दुश्मन

रूप की हर चितवन में बसे हम, प्यार की हर धड़कन है हमारी
किसको गुलाब का रंग न भाया, किसमें नहीं काँटों की है कसकन!