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"यों तो होठों से कुछ न कहता है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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कौन समझेगा दिल की बेताबी | कौन समझेगा दिल की बेताबी | ||
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प्यार की हर सज़ा कबूल हमें | प्यार की हर सज़ा कबूल हमें | ||
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कोई मिलता नहीं हो तुझसे, गुलाब! | कोई मिलता नहीं हो तुझसे, गुलाब! | ||
फिर भी अनजान नहीं रहता है | फिर भी अनजान नहीं रहता है | ||
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21:51, 2 जुलाई 2011 का अवतरण
यों तो होठों से कुछ न कहता है
प्यार नज़रों में उसकी रहता है
उसके वादे का एतबार किया
यह समझकर कि झूठ कहता है
कौन समझेगा दिल की बेताबी
ख़ून आँखों से जब न बहता है!
प्यार की हर सज़ा कबूल हमें
दिल तेरे बेरुख़ी न सहता है
कोई मिलता नहीं हो तुझसे, गुलाब!
फिर भी अनजान नहीं रहता है