भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यों तो होठों से कुछ न कहता है / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:19, 25 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंडे…)
यों तो होठों से कुछ न कहता है
प्यार नज़रों में उसकी रहता है
उसके वादे का एतबार किया
यह समझकर कि झूठ कहता है
कौन समझेगा दिल की बेताबी
खून आँखों से जब न बहता है!
प्यार की हर सज़ा कबूल हमें
दिल तेरे बेरुखी न सहता है
कोई मिलता नहीं हो तुझसे, गुलाब!
फिर भी अनजान नहीं रहता है