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"यों पहुँचने को हज़ारों की नज़र तक पहुँचा / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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हो गया क़ैद भले ही तेरे काँटों में गुलाब  
 
हो गया क़ैद भले ही तेरे काँटों में गुलाब  
बनके ख़ुशबू तो हजारों की नज़र तक पहुँचा  
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बनके ख़ुशबू तो हज़ारों की नज़र तक पहुँचा  
 
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01:49, 10 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


यों पहुँचने को हज़ारों की नज़र तक पहुँचा
फूल लेकिन न बहारों की नज़र तक पहुँचा

दी थी आवाज़ बहुत डूबनेवाले ने, मगर
बुलबुला सिर्फ किनारों की नज़र तक पहुँचा

अक्ल को राह न मिल पायी ख़ुद अपने घर की
प्यार का अक्स सितारों की नज़र तक पहुँचा

उनको हर बात में एक बात नयी आयी नज़र
नाम जब आपका यारों की नज़र तक पहुँचा

हो गया क़ैद भले ही तेरे काँटों में गुलाब
बनके ख़ुशबू तो हज़ारों की नज़र तक पहुँचा