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"रत्ना यों मुँह रह न छिपाये / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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राम अवध लौटे ज्यों वन से  
 
राम अवध लौटे ज्यों वन से  
 
पर क्या फल इस शुभागमन से  
 
पर क्या फल इस शुभागमन से  
यदि तू भेंट न पाये!
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                  यदि तू भेंट न पाये!
 
 
 
 
 
आज न हो पहली छवि सुन्दर  
 
आज न हो पहली छवि सुन्दर  
 
रोग-शोक से, सखि! तू जर्जर  
 
रोग-शोक से, सखि! तू जर्जर  
 
पति के हित वैसी ही है पर  
 
पति के हित वैसी ही है पर  
उठ निज मान भुलाये
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                उठ निज मान भुलाये
 
 
 
 
 
किन्तु ठहर, ले धूल चरण की  
 
किन्तु ठहर, ले धूल चरण की  
 
हमें सुना लेने दे मन की  
 
हमें सुना लेने दे मन की  
 
इतने दिन जो कसक सहन की  
 
इतने दिन जो कसक सहन की  
दबती अब न दबाये  
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                  दबती अब न दबाये  
  
 
रत्ना यों मुँह रह न छिपाए  
 
रत्ना यों मुँह रह न छिपाए  
 
बहुत दिनों पर भूले-भटके तेरे पति घर आये  
 
बहुत दिनों पर भूले-भटके तेरे पति घर आये  
 
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04:57, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


रत्ना यों मुँह रह न छिपाये
बहुत दिनों पर भूले-भटके तेरे पति घर आये
 
यदपि मिल रहे वे जन-जन से
राम अवध लौटे ज्यों वन से
पर क्या फल इस शुभागमन से
                  यदि तू भेंट न पाये!
 
आज न हो पहली छवि सुन्दर
रोग-शोक से, सखि! तू जर्जर
पति के हित वैसी ही है पर
                 उठ निज मान भुलाये
 
किन्तु ठहर, ले धूल चरण की
हमें सुना लेने दे मन की
इतने दिन जो कसक सहन की
                   दबती अब न दबाये

रत्ना यों मुँह रह न छिपाए
बहुत दिनों पर भूले-भटके तेरे पति घर आये