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रवि रश्मि किरीट धरे / जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’

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रवि रश्मि किरीट धरे द्युति कुन्तलों की नव नीर धरों पय लिये
श्रुति भार हितैषी स्ववादित वीण का किन्नरों से भ्रमरों पय लिये
उतरी पड़ती नभ से परी सी मानो स्वर्ण प्रभात परों पय लिये
किरणों के करों सरों के जलजात उषा की हँसि अधरों पय लिये