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"रहे गुंजित सब दिन, सब काल / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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रहे गुंजित सब दिन, सब काल
 
रहे गुंजित सब दिन, सब काल
 
 
नहीं ऐसा कोई भी राग,
 
नहीं ऐसा कोई भी राग,
 
 
रहे जगती सब दिन सब काल
 
रहे जगती सब दिन सब काल
 
 
नहीं ऐसी कोई भी आग,
 
नहीं ऐसी कोई भी आग,
  
 
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गगन का तेजोपुंज, विशाल,
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जगत के जीवन का आधार
 
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असीमित नभ मंडल के बीच
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सूर्य बुझता-सा एक चिराग।
 
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:::सूर्य बुझता-सा एक चिराग।
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19:58, 25 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

रहे गुंजित सब दिन, सब काल
नहीं ऐसा कोई भी राग,
रहे जगती सब दिन सब काल
नहीं ऐसी कोई भी आग,

गगन का तेजोपुंज, विशाल,
जगत के जीवन का आधार
असीमित नभ मंडल के बीच
सूर्य बुझता-सा एक चिराग।