भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रात अपने आगे से गुजरती / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कस्तूरी कुंडल बसे / गुला…)
 
 
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
 
एक नन्ही तारिका से मैंने पूछा--
 
एक नन्ही तारिका से मैंने पूछा--
 
'तेरी आयु कितनी है?'
 
'तेरी आयु कितनी है?'
तारिका सकुचाती हुई बोली--
+
तारिका सकुचती हुई बोली--
 
'मेरी आयु का क्या पूछना, भला!
 
'मेरी आयु का क्या पूछना, भला!
 
वह तो बस आपके पलक झपकने जितनी है.
 
वह तो बस आपके पलक झपकने जितनी है.

02:31, 17 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


रात अपने आगे से गुजरती
एक नन्ही तारिका से मैंने पूछा--
'तेरी आयु कितनी है?'
तारिका सकुचती हुई बोली--
'मेरी आयु का क्या पूछना, भला!
वह तो बस आपके पलक झपकने जितनी है.
इतना जरूर है,
कल जब मैं इधर से निकली थी,
यह सूरज की मशाल यहाँ नहीं थी,
न तो ये नन्हे-नन्हे फतिंगे
इसके चारों ओर घूम रहे थे,
न आपकी यह धरती ही कहीं थी!
पर ज़रा मैं भी तो लूँ जान,
आपकी आयु कितनी है, श्रीमान!'