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जख़्में-पिनहाँ५ की है निशानी भी।
ख़ल्क़ ख़ल्क़६ क्या-क्या मुझे नहीं कहती
कुछ सुनूँ मैं तेरी ज़बानी भी।
मौत के दौरे-दरम्यानी भी।
अभी शेष अपनी मासूमियों के पर्दे में हो गयी वो नज़र सियानी भी। दिन को सूरजमुखी है ... ... ...वो नौगुलरात को है वो रातरानी भी। दिले - बदनाम तेरे बारे मेंलोग कहते हैं इक कहानी भी। वज़्‍अ७ करते कोई नयी दुनियाकि ये दुनिया हुई पुरानी भी। दिल को आदाबे-बन्दगी८ भी न आयेकर गये लोग हुक्मरानी भी। जौरे - कमकम का शुक्रिया बस हैआपकी इतनी मेह्रबानी भी। दिल में इक हूक भी उठी ऐ दोस्तयाद आयी तेरी जवानी भी। सर से पा तक सिपुर्दगी की अदाएक अंदाजे-तुर्कमानी९ भी। पास रहना किसी का रात की रातमेहमानी भी मेज़बानी भी। हो न अक्से - जबीने - नाज़ कि हैदिल में इक नूरे - कहकशानी भी। ज़िन्दगी ऐन दीदे - यार ’फ़िराक़’ज़िन्दगी हिज्र की कहानी भी। शब्दार्थः १- नाराज़गी, २- दिल का काम, ३- आन्तरिक दुख, ४- दुखी हृदय की सीमा, ५- आन्तरिक आहत, ६- दुनिया, ७- बनाते, ८- सेवाभाव, ९- तुर्को की अदा। 
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