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"रात में वर्षा / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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गड़गड़ाते हुए
 
गड़गड़ाते हुए
 
 
बादल
 
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पेड़ तक, घर तक ।
 
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हवा को भेजते
 
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दर-दर ।
 
दर-दर ।
 
 
इधर, इस ओर
 
इधर, इस ओर
 
 
बिस्तर तक
 
बिस्तर तक
 
 
जगा है--
 
जगा है--
 
 
चौंक कर ।
 
चौंक कर ।
 
 
यह एक
 
यह एक
 
 
बिजली-कौंध,
 
बिजली-कौंध,
 
 
भीतर तक
 
भीतर तक
 
 
उतर कर,
 
उतर कर,
 
 
कहाँ जाने गई ।
 
कहाँ जाने गई ।
 
 
ऊपर गड़गड़ाहट
 
ऊपर गड़गड़ाहट
 
 
गड़गड़ाहट
 
गड़गड़ाहट
 
 
और कितनी !
 
और कितनी !
 
  
 
तनी
 
तनी
 
 
साँसें
 
साँसें
 
 
सुन रही हैं वृष्टि
 
सुन रही हैं वृष्टि
 
 
अब भरपूर ।
 
अब भरपूर ।
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18:43, 31 मार्च 2011 के समय का अवतरण

गड़गड़ाते हुए
बादल
पेड़ तक, घर तक ।
हवा को भेजते
दर-दर ।
इधर, इस ओर
बिस्तर तक
जगा है--
चौंक कर ।
यह एक
बिजली-कौंध,
भीतर तक
उतर कर,
कहाँ जाने गई ।
ऊपर गड़गड़ाहट
गड़गड़ाहट
और कितनी !

तनी
साँसें
सुन रही हैं वृष्टि
अब भरपूर ।