भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रामवचन घर पर आया / राहुल शिवाय

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:01, 23 फ़रवरी 2018 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वित्त बजट का हाल पूछने
रामवचन घर पर आया है

बाबूजी सूखा आया था
क्या उसकी खातिर राहत है?
कर माफी की बात चली थी
हुआ पास बिल या दिक्कत है
शायद कुछ मिलने वाला है
उसे किसी ने बतलाया है

बाबूजी एल. पी. जी. वाला
सुना सिलेंडर मुफ़्त मिलेगा
है चुनाव सर पर इस खातिर
कुछ मालिक हम सब को देगा
कुछ बातों को समझ रहा है
पर अब भी कुछ भरमाया है

बाबूजी हम समझ गए हैं
नहीं मिला फिर कुछ गरीब को
खाली वोट गिरा सकते हैं
और कोस सकते नसीब को
मैंने उसको ढाढ़स देकर
सब हल होगा समझाया है

रचनाकाल-02 फरवरी 2018